बदलते मौसम के अनुसार पशुधन का ध्यान रखना ज़रूरी:-डॉ. तरसेम
करनाल 16 मई(पी एस सग्गू)
कोरोना संकट के इस काल में पशु पालक अपने पशुधन का भी चौकसी के साथ खय़ाल रखें। उन्हें घर में ही मौजूद पोषक आहार दें और वर्तमान मौसम को ध्यान में रखते हुए ख़ूब पानी पिलाते रहें। वरिष्ठ पशु चिकित्सक और निसिंग पशु चिकित्सालय के प्रभारी डॉक्टर तरसेम राणा ने यह टिप्पणी हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान के साथ रेडियो ग्रामोदय के वेकअप करनाल में चर्चा के दौरान की। महामारी के दौर में कोरोना से खुद को बचाने और पशुओं की भी उचित देखभाल के उपायों पर चर्चा करते हुए डॉ. चौहान ने कहा कि कोरोना गांवों में भी कहर ढा रहा है। उल्लेखनीय है कि राहड़ा में अब तक तीन और सालवन में कोरोना से 4 लोगों की मृत्यु होने की खबर है।
पशु चिकित्सक डॉ. तरसेम राणा ने कहा कि ऐसे मौसम में अपनी देखभाल करने के साथ-साथ मवेशियों का भी ध्यान रखना जरूरी है। इस मौसम में हरे चारे का अभाव हो जाने से पशुओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हरा चारा उपलब्ध न हो तो पशुओं को क्या खिलाना चाहिए? डॉ. चौहान के इस सवाल पर डॉ. तरसेम राणा ने कहा कि घर और खेत में जो उपलब्ध हो उसी से काम चलाया जाए। पशुओं को खूब पानी पिलाएं और सूखे चारे के साथ तेल या घी के साथ आटे का पेड़ा बनाकर दो-तीन दिन के अंतराल पर दिया जाए। यह पशुओं का पेट ठीक रखने में मदद करेगा। डॉक्टर तरसेम ने कहा कि जिस मौसम में हरा चारा अधिक होता है उस समय किसानों को उसे कम चारे वाले दिनों के लिए अचार बनाकर रख लेना चाहिए। क्षेत्र में अनेक प्रोग्रेसिव किसान अब अपने स्तर पर आचार तैयार करने लगे हैं और यह अचार बाज़ार में भी उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि इसे बनाने की विधि बहुत जटिल नहीं है और अधिक से अधिक किसानों को इसे सीखना चाहिए।
डॉ. तरसेम ने मवेशियों का बीमा कराने पर जोर देते हुए कहा कि सभी किसानों को अपने पशुधन का बीमा अवश्य करवाना चाहिए।
पशु बीमा का प्रीमियम कितना होता है और इसमें कितने तक का बीमा होता है? इस सवाल पर डॉ. राणा ने कहा कि पशु बीमा का प्रीमियम मात्र 100 होता है। दूध की उपलब्धता के अनुसार पशुओं के बीमे की राशि तय होती है। उदाहरण के तौर पर यदि 20 लीटर तक दूध देने वाला पशु हो तो ?80000 तक का बीमा हो सकता है। बीमा हो जाने पर इसकी एक प्रति किसानों को भी दे दी जाती है। उन्होंने पशुओं का पेट ठीक रखने के लिए ज्वार का अचार बनाने की सलाह दी।
कार्यक्रम में कोरोना से जंग जीतकर सकुशल घर लौटे कुरुक्षेत्र निवासी बोधेश्वर दयाल सिंह कौशल ने कोरोना को कतई हल्के में ना लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सर्दी-खांसी और जुकाम होने पर इसे सामान्य फ्लू समझने की भूल ना करें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। उन्होंने डॉक्टरी उपचार के साथ-साथ घरेलू उपचार भी जारी रखने की सलाह दी। बोधेश्वर ने बताया कि हल्दी वाला दूध, लॉन्ग और इलायची इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है। इसके साथ ही बड़े पीपल का चूर्ण भी शहद के साथ लेना स्वास प्रक्रिया के लिए अच्छा है। उन्होंने कहा कि कोरोना से लडऩे के लिए दवाओं के साथ-साथ मजबूत इच्छाशक्ति और अपनों का भावनात्मक समर्थन भी बहुत जरूरी है।
बॉक्स:-ग्रामीण आइसोलेशन केंद्र चालू
कोरोना का वायरस निरंतर अपना रूप बदल रहा है। बड़े से बड़ा विशेषज्ञ भी आज कोरोना के स्वभाव के बारे में दावे के साथ कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। इतना तो तय है कि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों को यह वायरस सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इसलिए कोरोना से बचाव के लिए अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करना बहुत जरूरी है। डबल मास्क लगाएं और पूरी सावधानी बरतें। डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि ग्रामीण अंचल में मरीज़ों की सुविधा के लिए आइसोलेशन केंद्र बनाए जा रहे हैं। निसिंग, गोंदर, मजूरा, राहड़ा सहित विभिन्न स्थानों पर ऐसे केंद्रों का लोकार्पण हो चुका है।