महाकवि सुमित्रानंदन पंत का वसंतोत्सव महक उठा: डॉ मुकेश कुमार
हिंदी साहित्य के विशेषज्ञ डॉ मुकेश कुमार ने आधुनिक हिंदी कविता में छायावादी काव्य धारा के महाकवि सुमित्रानंदन पंत जी के वसंत पर्व का वर्णन इस प्रकार से किया हैं- माघ शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का प्रारंभ होता है ,जो फाल्गुन कृष्ण पंचमी को पूर्ण होता है।इस अवसर पर सुंदर नर-नारी सुशोभित होकर नृत्य करते हैं और गीत गाते हैं। महाकवि पंत ने अपने काव्य धारा में वसंत ऋतु एवं वसंतोत्सव का वर्णन काफी जगह किया है। वसंत तो ऋतुओं का राजा कहलाता है। इस प्रकार कवि कहता हैं-
” वासंती सौंदर्य पर्व में कवि
नव रस मूल्यों को करता वितरित
जीवन शोभा विकसित प्रांगण को
राग चेतना से कर सित सुरभित।।”
वसंतोत्सव का महत्व किसानों के लिए काफी अहमियत रखता है। प्रकृति खुलकर खिलना शुरू कर देती है,मानों हंस रही हो।
नव निर्माण होता है।महाकवि स्वयं ऋतुपति के स्वागत की तैयारियां करने में जुट जाता है-
” आओ, कोकिला बन जाओ
ऋतुपति का गौरव गाओ
प्रेयसि कविते। हे निरूपमिते ।।”
महाकवि सुमित्रानंदन पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं।इससे हमें प्रकृति के प्रति गहन प्रेम की शिक्षा लेकर अपने जीवन में वसंतोत्सव के पुष्प को खिलाना चाहिए। यही हमारे जीवन का सार है।