बीजेपी जेजेपी सरकार “पंचायती राज एक्ट” की उड़ा रही धज्जियाँ : इन्दरजीत गोराया
पंचायत चुनाव करवाने से बचना चाह रही सरकार
करनाल, 4 अक्तूबर , (पी एस सग्गू)
पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव समय पर करवाना हर चुनी हुई सरकार की प्राथमिकता होती है क्योंकि ग्राम पंचायत को लोकतंत्र की प्रथम इकाई माना गया है यह वक्तव्य कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य इन्दरजीत सिंह गोराया ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए दिया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की प्रथम इकाई पंचायतों के माध्यम से चुने गये सरपंच व पंच गाँव का विकास करवाते हैं तथा इन विकास कार्यों पर हर गाँववासी की प्रत्यक्ष निगरानी रहती है जो की चुनाव ना होने की वजह से सारे विकास कार्य ठप्प पड़े हैं तथा भ्रष्टाचार के माध्यम से गाँव का पैसा खुर्दबूर्द किया जा रहा है अधिकारी मनमानी कर रहे हैं यह भ्रष्टाचार सरकार स्वयं कर व करवा रही है ।
इन्दरजीत गोराया ने कहा कि बेशक इन दिनों चर्चा है कि चुनाव जल्द होंगे लेकिन वास्तविकता इससे अलग है । उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है की सरकार चुनाव से डर रही है तथा इसे किसी क़ानूनी प्रकिया में फँसा कर चुनाव टालने की कोशिशें की जा रही हैं ।
जिसके प्रमाण हमारे पास हैं । गोराया ने कहा कि करनाल व नीलोखेडी ब्लॉक में जानबूझकर पंचायती राज एक्ट की उलंघना की गई ताकि केस हाईकोर्ट में चला जाये व चुनाव को टाला जा सके
जिसके कुछ एक प्रमाण हमारे पास हैं ।
पहला प्रमाण गाँव नारायणा में से पहली बार बनी नई पंचायत गोबिन्दपुर गामडी का है, जहां पर नियमों के खिलाफ जा कर बी सी (ए) के लिए आरक्षित कर दिया गया जबकि इस गाँव में मात्र पाँच वोट बीसी ऐ वर्ग के हैं जो की एक प्रतिशत से भी कम है जबकि पंचायती राज एक्ट के मुताबिक़ आरक्षण के लिए कम से कम दो प्रतिशत वोट होनी ज़रूरी है तीस प्रतिशत वाले गाँव छोड़ कर एक प्रतिशत से कम के गाँव को आरक्षित करने के पीछे मक़सद मात्र चुनाव को क़ानूनी प्रक्रिया में उलझाना है ।
इसी प्रकार से ज़िला करनाल की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में रोटेशन नियम लागू नहीं किया गया, जिले के जो वार्ड पिछली बार आरक्षित थे उन्हें ही दोबारा आरक्षित करना पंचायती राज एक्ट के नियमों के विरूद्ध है । गोराया ने कहा कि लगता है यह मामला बीजेपी जेजेपी सरकार जानबूझकर माननीय उच्च न्यायालय में भेजना चाहती है ताकि चुनाव से बचा जा सके । उन्होंने कहा कि इन सब बातों से स्पष्ट है कि सरकार चुनाव के प्रति गम्भीर नहीं है जो की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मूल भावनाओं की धज्जियाँ उड़ाने सम्मान है और चुनाव होने पर सरकार को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा।