महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति रहें सजग, कहीं पर भी घरेलू हिंसा की शिकायत मिलने पर प्रशासन को करें सूचित : सीडीपीओ मधु पाठक।

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महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति रहें सजग, कहीं पर भी घरेलू हिंसा की शिकायत मिलने पर प्रशासन को करें सूचित : सीडीपीओ मधु पाठक।

करनाल 4 मार्च (पी एस सग्गू)
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में माता प्रकाश कौर मूक एवं बधिर श्रवण वाणी केन्द्र में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सीडीपीओ मधु पाठक, आयुष विभाग से डा. नरेश, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना की डिस्ट्रिक्ट कोर्डिनेटर ज्योति रानी, पोषण अभियान से डिस्ट्रिक्ट कोर्डिनेटर अंजू, बाल संरक्षण अधिकारी सुमन नैन, सामान्य नागरिक अस्पताल करनाल से डायटिशियन मोनिका, संस्थान की ओर से दिनेश कुमार, महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाईजर व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस अवसर पर 18 से 30 वर्ष तक लड़कियों की रेस तथा 30 वर्ष से ऊपर की महिलाओं की लेमन रेस भी करवाई गई।
इस अवसर पर सीडीपीओ मधु पाठक ने महिलाओं के अधिकारों एवं उनके कत्र्तव्यों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की समाज में आधी आबादी है, इनके सर्वांगीण विकास के लिए सरकार द्वारा अनेकों जन कल्याणकारी योजनाएं महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं का महिलाओं को सीधा लाभ मिल रहा है। उन्होंने उपस्थित महिलाओं का आह्वान किया कि वे सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आगे आएं और अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें। कहीं पर भी घरेलू हिंसा की शिकायत मिलती है तो इस बारे जिला प्रशासन को सूचित करें ताकि उनके साथ किसी भी प्रकार का अन्याय न हो। कार्यक्रम में बाल संरक्षण अधिकारी ने पोक्सो एक्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अगर किसी बच्चे का बाल शोषण किया जा रहा है तो उसकी सुरक्षा के लिए सरकार ने पोक्सो एक्ट बनाया है। इस एक्ट में दोषियों के लिए कड़ी सजा व जुर्माने का प्रावधान है। जिला प्रशासन की ओर से बच्चों की सुविधा के लिए बाल भवन में हैल्प लाईन नम्बर 100 या 1098 जारी किया गया है। कोई भी व्यक्ति शोषित या पीडि़त बच्चे के बारे में इन नम्बरों पर सूचना दें।
कार्यक्रम में प्रधानमंत्र मातृत्व वंदना योजना की जिला समन्वयक ज्योति ने गर्भवती महिलाओं के पौष्टिक आहार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में माता की पौष्ठिक आवश्यकताएं पूरी नहीं होने पर माता का स्वास्थ्य कमजोर हो जाता है, अस्वस्थ शिशु का जन्म होता है, समय से पहले शिशु पैदा होता है, माता की मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है, शिशु का अनिमिया से ग्रस्त होता है, भ्रूण का मानसिक विकास कम होता है, माता में हड्डियों संबंधी रोग पैदा होता है, नए जन्मे शिशु का संक्रमण रोगों से ग्रस्त होना इत्यादि शामिल है। उन्होंने बताया कि तले हुए पदार्थ, मिर्च मसाले, पेय पदार्थ, मक्खन, छना हुआ आट्टा, अधिक मीठी चीजे, कॉफी व चाय इत्यादि पदार्थो का गर्भवती स्त्रियों को कम से कम सेवन करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि जल को पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए, आहर में विभिन्नता होनी चाहिए, रेशेदार पदार्थ अधिक होने चाहिए, थोड़े-थोड़े समय बाद थोड़ी-थोड़ी मात्रा में उसकी रूची अनुसार भोजन लेना चाहिए। मुख्य आहारों के बीच लस्सी, नारियल, नींबू पानी लेते रहना चाहिए, उसका आहार पांच खाद्य समुह से मिलकर बनना चाहिए, गर्भवती स्त्री को आहार में कार्बोज और वसा वाले आहार की अपेक्षा प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण एवं लाल-पीली और हरी सब्जियां और खट्टे रसदार फल अवश्य होने चाहिए, आहार सोने से दो-तीन घंटे पहले करना चाहिए।

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