भृष्टाचार के विस्फोटको पर खड़ा है करनाल शुगर मिल,कभी भी हो सकता है धमाका;
कांग्रेस नेताओं ने त्रिलोचन सिंह की अगुवाई में सार्वजनिक प्रेस कांफ्रेंस कर किया शुगर् मिल में करोडो के अनियमितताओं का खुलासा
- *कर्मचारियों,किसानों का हो रहा है शोषण
करनाल,18 मई,(पी एस सग्गू)
करनाल में सहकारी शुगर मिल भ्रष्टाचार अनियमितताओं और सरकार को करोड़ों रुपयों का चूना लगाने का एक बड़ा केंद्र बन कर रह गई है। शुगर मिल को भ्रष्टाचार और लापरवाही का धुन लंबे समय से खोखला कर रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इसके नवीनीकरण पर करोडों रुपया खर्च किया। लेकिन इसमें भी गंभीर प्रकार की अनियमितताएं बरती गईं। शुगर मिल में नवीन इकाई भी स्थापित की गई। करनाल की लाइफ लाइन कही जाने वाली शुगरमिल में गंभीर अनियमितताओं को लेकर जिला कांग्रेस के प्रतिनिधि मण्डक द्वारा जिला संयोजक त्रिलोचन सिंह के नेतृत्व में करनाल के मंडल आयुक्त संजीव वर्मा को शिकायत पत्र दिया। इससे पहले जिला संयोजक त्रिलोचन सिंह ने सार्वजनिक प्रेस कांफ्रेंस को सम्बोधित किया ।उन्होंने शिकायत पत्र को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि
करनाल शुगर मिल को उद्घघाटन के कुछ समय बाद अधिकारियों ने इसजैक नोएडा को स्वार्थ सिद्धि के लिए बिना प्रदूषण नियंत्रण विभाग से अनुमति लिए बिना ट्राइल की अनुमति दे दी। आठ अप्रैल से 17 मई तक बिना अनुमति के चलाई गई। इस पर राज्य प्रदूषण बोर्ड ने प्रबंधन पर 33 लाख का जुर्माना लगा दिया। निदेशक मंडल की अनुमति के बिना प्रबंधन ने जुर्माने की रकम अदा कर दी। इससे भारी नुकसान हुआ।उन्होंने बताया कि करनाल शुगर मिल. ने 11-10-2021 को खत्म हुए पिराई सत्र के लिए फासफोरिक एसिड नामक कैमीकल दिल्ली की विजन कैम फर्म से एक लाख पच्चीस हजार किलो 138 रुपए प्रति किलो के हिसाब के साथ जीएसटी शामिल कर क्रय आदेश नंबर 3988 दिनांक 11-10-21 से इस शर्त पर खरीदा कि सप्लाई समय पर नहीं देने पर विजन कैम के जोखिम पर किसी और माध्यम से कर ली जाएगी। इस आदेश के ठीक 12 दिन बाद मिल ने एक लाख 20 हजार किलो फासफोरिक एसिड का एक और क्रय आदेश नंबर 4159 दिनांक 23-12-21 को दर 240 रुपए जमा जीएसटी जारी कर दिया। इसके कारण शुगर मिल को एक करोड़ 42 लाख अस्सी हजार रुपए का नुकसान हुआ।. इंजीनियरिंग तथा मैन्युफैक्चरिंग शाखा के 201 कर्मचारी भी ठेकेदार इसजैक यमुनानगर के निदेर्शों पर काम करेंगे। जिनका मासिक वेतन लगभग एक करोड़ रुपया अलग से रहता है।
कंग्रेस नेता ने बताया कि असन्ध के हैफेड चीनी मिल असंध में 2500 टीसीडी की क्षमता अपनी चीनी मिल से चीनी तैयार करने का ठेका गलोबल केन शुगर को पिराई सत्र 2021 के लिए आफ सीजन में 150 लाख और 75 लाख में दिया गया। जबकि सहकारी चीनी मिल करनाल में ठेका देते समय पिराई क्षमता 2200 टीडीसी नए प्लांट को चालू होने पर पिराई क्षमता 3500 टीडीसी ने आपरेशन मैंटीनैंस और प्रोडक्शन एग्रीमैंट ठेकेदार इसजैक यमुनानगर से आफ सीजन के लिए 11 करोड़ तथा सीजन के लिए साढ़े 11 करोड़ में दे दिया। इस तरह से मिल को चूना लगा। इसके अलावा लगभग 200 कर्मचारियों का मासिक वेतन 79 लाख रुपया जो स्टाफ एग्रीीमैंट के साथ दे दिया। उन्होंने बताया किब
करनाल शुगरमिल में पुराना वायलर प्रति स्क्वेयर इंच 2 का प्रेशर सहन कर रहा है। लेकिन नए प्लांट का वायलर फट गया। हादसा होने से बच गया। इसकी गैस यदि निकल जाती तो पूरा करनाल हादसे की चपेट में आ सकता था। लेकिन हादसा बच गया। इस लापरवाही के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए।मिल में सरकार से मंजूर कर्मचारियों अफसरों की संख्या 453 है। जबकि पिराई सत्र 2021 में 453 के स्थान पर 645 कर्मचारी,अफसर दिखा दिए। लगभग दो करोड़ का नुक्सान हुआमिल के नए प्लांट के अनुबंध के अनुसार प्लांट में लगाई गई फिलिंग बाडी में 16 से 36 एमएम लोहे की प्लेट लगाई जानी थी। अब चूंकि चारों और से बंद मशीनरी में लगी प्लेट जांची नहीं जा सकती है। यह प्लेट 16 के स्थान पर 12 एमएम की लगी है। मिल प्रबंधन ने जगह-जगह खोदी गई नालियां जगह-जगह करवाए गए पुराने रिपेंट पंपों से हो रही भयंकर लीकेज, तथा 110 पौंड प्रेशर प्रति स्क्वेयर इंच के बोझ सहने वाले वाल्व को वैल्डिंग कर चलाना कर्मचारियों तथा नजदीकी बस्तियों के लिये खतरा है जुगाड़ का वायलर कभी भी फट सकता है।पिराई सत्र 2019-20 में विक्रय आदेश नंबर एसएस के 19 सेल 4024 दिनांक 18-11-19 के दूसरे पेज को बदला गया। छह के स्थान पर 10 एकड़ जमीन दिखा दी। एक साल के लिए मुफ्त। पहले चार महीने का किराया प्रति एकड़ तीस हजार रुपए था। नुक्सान 12 से तेरह करोड़ का हुआ इसके लिये दोषी कौन है।
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*अवैध विजली कनेक्शन दे कर चूना लगाया*
मिल प्रबंधन ने नये प्लांट लगाने वाले ठेकेदार इसजैक नोएडा को बिना अनुबंध,बिना निदेशक मंडल अनुमति, बिना किसी रिकॉर्ड तैयार किए,व सब मीटर लगवाए मिल की बिजली का अवैध कनेक्शन दे दिया। व इस दिए गए कनेक्शन पर मिल प्रबंधन ने अपने पत्र नंबर एस एम के -21/आर टी आई/08 दिनांक 5-5-21 से कनेक्शन न देना बताकर, ठेकेदार द्वारा अपने जेनरेटरों से सारे कार्य करना बतलाया। ठीक 2 माह बाद मिल के उप मुख्य लेखाधिकारी ने पत्र नंबर 2179 दिनांक 2-7-21 से सूचना दी कि ठेकेदार इसजैक नोएडा को दिनांक 10-1-2020 से बिजली दी जा रही है जिस का डेबिट नोट जारी कर दिया गया है। ठीक 5 माह बाद मिल प्रबंधन ने पंजीयक महोदय, सहकारी चीनी मिल प्रसंध को पत्र नंबर एस एम के -21/जनरल/5152 से सूचना दी कि ठेकेदार इसजैक नोएडा को दिनांक 10-2-2020 से उसकी मांग अनुसार बिजली दी गई थी जिस का 545151/- रुपए का डेबिट नोट जारी कर दिया गया है, इसके ठीक 4 माह बाद पत्र नंबर 207 दिनांक 16-4-22 में एक और डेबिट नोट,398776/- रुपए जारी किया जाना बताया। 2 करोड़ रुपए की दी गई बिजली की 942927/- रुपए की बिजली दी हुई मानी। 264 करोड़ रुपए का प्लांट,सारे कार्य यहां, जबकि वास्तव में यह लगभग 2 करोड़ रुपए का बिजली बिल बनता है, जिसकी तुलना पानीपत सहकारी चीनी मिल के नये लगे प्लांट से करवाते हुए संबंधित अधिकारियों व ठेकेदार इसजैक नोएडा से मय ब्याज व जुर्माना वसूला । उन्होंने बताया कि कोरोना काल के कारण नया प्लांट समय पर तैयार नहीं हुआ था, इस अनुबंध पर कोई कार्य नहीं करवाया गया, दूसरे पिराई सत्र 2021-22 से पहले सूचना मांगने के कारण इस अनुबंध पर कोई कार्य नहीं करवाया गया। लेकिन मिल प्रबंधन नये प्लांट लगाने वाले ठेकेदार इसजैक नोएडा को दिनांक 13-3-21 से 20-4-21 तक 31,50,400/- रुपए का दिया गया डीजल अपने पत्र नंबर 6286 दिनांक 11-3-22 में ठेकेदार इसजैक यमुनानगर को दिखाया जा रहा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जिस समय में डीजल दिया गया उस समय मिल के ब्वायलर अपनी बिजली पैदा कर रहे थे और ना तो पुराने और ना ही नये प्लांट में कोई एक मशीनरी ऐसी है, जिसमे डीजल का प्रयोग होता हो, बिजली ना होने पर केवल जेनरेटर में डीजल लगता है।