बालों के डॉक्टर मुकेश अग्रवाल का चौथा काव्य संग्रह कस्तूरी कुंडल बसे का विमोचन किया
करनाल 4 मार्च ( पी एस सग्गू)
वैद्य हुक्मचंद अग्रवाल फाउंडेशन के एमडी, बालों की जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान करने वाले, योगा एवं आयुर्वेद में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर मुकेश अग्रवाल और उनकी शक्ति स्वरूप धर्मपत्नि डा. अनुराधा अग्रवाल का ये चित्र कस्तूरी कुंडल बसे काव्य संग्रह के विमोचन का है। संवेदनाओं का समंदर अपने मन में समेटे हुए दो किशोर बच्चों के पिता डॉक्टर मुकेश अग्रवाल के चौथे काव्य संग्रह का मैं बतौर सम्मानित अतिथि साक्षी रहा। इस काव्य समारोह की मुख्यअतिथि सच को सच बोलने में माहिर कवियत्री व लेखिका रेशमा कल्याण भी इस चित्र में नजर आ रही हैं। इससे पहले डॉक्टर मुकेश अग्रवाल के तीन काव्य संग्रह सिर्फ एक मानव हूं मैं, वक्त के दरम्यिां, भोर की ओर प्रकाशित हो चुके हैं। डॉक्टर मुकेश अग्रवाल वीएचसीए फाउंडेशन के संचालक होने के नाते बालों की समस्याओं के समाधान के लिए आयुर्वेद दवाइयां भी बनाते हैं और ये दवाइयां बहुत असरकारक हैं। सन 1928 से यानी पिछले 94 बरस ये परिवार चिकित्सा क्षेत्र में अपनी खास और दिलों में गहरे से उतर जाने वाली पहचान बना चुका है। चिकित्सा के साथ साथ कविता के क्षेत्र में वैद्य श्री हरिकृष्ण अग्रवाल व श्रीमति उषा अग्रवाल के श्रवण पुत्र डॉक्टर मुकेश अग्रवाल के चौथे काव्य संग्रह कस्तूरी कुंडल बसे में 109 कविताएं हैं और हर कविता आपको अपने भीतर ही ईश्वर को खोजने का गहरा संदेश देती है। अपनी 48 बरस की उम्र में बीएएमएस, एमए.एमसी, एलएलबी, एलएलएम, डी फॉर्मा, एमडी.ए.एम, एनडीडीवाई, पीजीडीएचआरएम कर चुके डॉक्टर मुकेश अग्रवाल अध्यन्न के क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय हैं। कई बार किसी के जीवन में कुछ पल के लिए उतरने के बाद आपको ऐसा लगता है कि इस शख्सियत से मैं इतने बरसों में मिला कैसे नहीं? जब मैने कस्तूरी कुंडल बसे के विमोचन पर डॉक्टर मुकेश अग्रवाल के पिता श्री हरिकृष्ण अग्रवाल को उर्दू की नज्म पेश करते देखा तो मैं समझ गया कि कविता के संस्कार तो डॉक्टर मुकेश को अपने पिता से विरासत में मिले हैं। डा. मुकेश अग्रवाल के गुरु वरिष्ठ साहित्यकार व लघु कथा के बड़े हस्ताक्षर डा. अशोक भाटिया ने भी डॉक्टर मुकेश अग्रवाल को बेहद संजीदा इंसान बताया। डॉक्टर मुकेश अग्रवाल ने मुझे इस पुस्तक विमोचन समारोह में सम्मानित अतिथि के रूप में सत्कार दिया। मेरे जनर्लिस्ट और बेहद नेकदिल यारों के सच्चे यार हन्नी शिवांग रावल ने सीनियर जनर्लिस्ट दिलबाग लाठर की मौजूदगी में ये चित्र खींचा, जिसमें डॉक्टर मुकेश अग्रवाल व उनकी धर्मपत्नि दीपशिखा कर रहे हैं। असल में इस चित्र का सच ये है कि श्रीमति अनुराधा अग्रवाल को बतौर कार्यक्रम अध्यक्षा दीपशिखा करना था लेकिन उन्होंने अपने पतिदेव और कार्यक्रम के दूल्हे डॉक्टर मुकेश अग्रवाल को बुलाया और फिर एक साथ दीपशिखा की, उनकी ये मोहब्बत और अपनेपन की भावना देखकर उपस्थित सभी सुधिजनों ने तालियां बजाई, इस चित्र को कैमरे में कैद करने में मेरे हरदिलअजीज दोस्त हन्नी शिवांग रावल ने मिनट भी नहीं लगाया। मौके पर मुख्यअतिथि कवियत्री व लेखिका श्रीमति रेशमा कल्याण और थोड़ा ही सही लेकिन मैं (संदीप साहिल )भी आपको नजर आ रहा हूं। बस यही कहूंगा कि लोगों के बालों की समस्याओं का इलाज करते करते मन में कविता की उमड घामड़ को प्रतिदिन लिखकर मोटिवेशनल वीडियो पर काम करने वाले डॉक्टर मुकेश अग्रवाल की संजीदगी और कर्म बहुत गहरे से हमें नेक कर्म और लगातार मेहनत करने का सबक देते हैं। हमें आपसे बहुत सीखना है सर, आपको आने वाले पांचवें काव्य संग्रह के लिए भी एडवांस में दुआएं, बधाइयां, मुबारकें।