एमएचयू-डीएएल विविध टिकाऊ कृषि प्रणाली विकसित करने की दिशा में करेंगे काम, दोनों के बीच हुआ समझौता

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महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल एवम धानुका एग्रीटेक नई दिल्ली के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए

करनाल 22 फरवरी (पी एस सग्गू)

करनाल की महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के कान्फ्रैंस हॉल में एमओयू पर हस्ताक्षर करने का कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल एवम धानुका एग्रीटेक नई दिल्ली के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। एमएचयू कुलपति प्रो.समर सिंह की एवम धानुका एग्रीटेक के वाइस प्रैजिडैंट एवं हैड आर एंड डी के डॉ.ए.एस तोमर की गरिमामयी उपस्थिति में विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदशेक डॉ.रमेश गोयल एवंम  डीन डॉ. राजेश भल्ला द्वारा एमओयू पर विश्वविद्यालय की ओर से हस्ताक्षर किए। मंच संचालन डॉ.पीके मेहता ने किया।

महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह व धानुका एग्रीटेक के वाइस प्रैजिडैंट एवं हैड आर एंड डी के डॉ.ए.एस तोमर ने संयुक्त रूप से बताया कि एमएचयू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवमं सीएम मनोहर लाल द्वारा दी गई प्रदेशवासियों को एक सौगात हैं। जिसका उदेश्य किसानों की आय बढ़ाना हैं, इसी दिशा में विश्वविद्यालय कार्यरत है। किसानों को बेहतर से बेहतर तकनीक हासिल हो, इसके लिए सभी मिलकर काम कर रहे है। जिससे किसानों की आर्थिक दशा में सुधार हो। धानुका एग्रीटैक के साथ एमएचयू द्वारा एमओयू किए गए है। जिससे धानुका द्वारा बागवानी विश्वविद्यालय को ड्रोन सुविधा उपलब्ध करवाया जाएगा, जिसे विश्वविद्यालय के साथ संपर्क करने वाले किसानों को दिया जाएगा। क्योंकि ड्रोन का खेती में किस प्रकार प्रयोग करे, इस बारे में किसानों को पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि परपरांगत सिस्टम में काफी कमियां आ चुकी हैं, जैसे पानी की कमी लगातार होती जा रही है, भूमि की उर्वरता में कमी, तीसरा पोषण की कमी। इन सब कमियों को दूर करने के लिए किसानों-युवाओं को बागवानी की खेती की ओर आगे लाना है। डॉ.ए.एस तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में ज़्यादा से ज़्यादा अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों की आवश्यकता है। ऐसे में एमएचयू जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी कृषि एवं संबंधित गतिविधियों में अनुसंधान को बढ़ावा देने में कारगर हो सकती है। युनिवर्सिटी अपनी फॉर्म्स और किसानों के खेतों में धानुका के प्रोडक्ट्स,नए मॉलिक्यूल्स के लिए डेमोन्स्ट्रेशन/ अडेप्टिव ट्रायल करेगी। इन परिणामों का उपयोग कृषि में आधुनिक तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा।  साझेदारी के तहत किसानों को एआई/एमएल तकनीकों के उपयोग के लिए सलाह दी जाएगी। कृषि में ड्रोन तकनीक के उपयोग पर ज़ोर दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सेंटर ने हाल ही में कृषि रसायनों के छिड़काव के लिए ड्रोन के उपयोग हेतु स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रक्रिया जारी की है। धानुका ड्रोन के माध्यम से कीटों के नियन्त्रण के लिए बायो-एफिकेसी एवं फाइटो-टॉक्सिसिटी प्रोजेक्ट्स को स्पॉन्सर करेगी। धानुका के आर एण्ड डी डिविज़न में एनएबीएल द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वस्रतीय प्रयोगशालाएं हैं।

 

किसानों को मार्केटिंग के गुर सिखाएं जाएगे

प्रो.समर सिंह ने कहा कि इन दिनों किसान उत्पादन तो कर रहे हैं, लेकिन उनके सामने मार्केटिंग की समस्या रहती हैं। एमएचयू के द्वारा किसानों को मार्केटिंग के गुर भी सिखाएं जाएगे। उन्होंने कहा कि किसानों को नई नई तकनीक, नए नए बीज साथ ही जर्म, प्लाजमा विदेशों से लाकर उपलब्ध करवाया जाएगा। विश्वविद्यालय ने सबसे पहले हाईटैक नर्सरी की स्थापना सभी क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों पर की है ताकि किसानों को उच्च गुणवत्तावाली सब्जियों की तैयार पौध उपलब्ध कराई जा रही है। क्योंकि किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाली पौध की कमी रहती है। इससे उनके उत्पादन में बढ़ोतरी होगी एवम किसानों की आय दोगुनी करने में सहायक होगी।

ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन किया

धानुका एग्रीटैक के विशेषज्ञों द्वारा ड्रोन से छिड़काव विधि का प्रदर्शन किया गया। किसानों को इस तकनीक के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाई गई। मौके पर एमएचयू के कुलसचिव डॉ. अजय सिंह यादव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. सुरेंद्र, डॉ. विजय अरोडा, डॉ. सतेंद्र यादव,  विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, प्रगृतिशील किसान ईलम सिंह, विजय कपूर मौजूद रहे।

फोटो एमएचयू कुलपति प्रो.समर सिंह एमओयू पर हस्ताक्षर करते हुए, कार्यक्रम में बोलते हुए, ड्रोन का प्रदर्शन के दौरान कुलपति प्रो.समर सिंह।

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