डेढ़ साल से व्हील चेयर पर बैठे मरीज को डॉक्टरों ने एक सप्ताह में पैरो पर किया खड़ा
फोर्टिस अस्पताल में हुआ कूल्हे का सफल ऑपरेशन, दो चरणों में की सर्जरी
करनाल 21सितंबर(पी एस सग्गू)
फोर्टिस अस्पताल में हुआ कूल्हे का सफल ऑपरेशन, दो चरणों में की सर्जरी
करनाल 21सितंबर(पी एस सग्गू)
एक ऐसा मरीज जो पिछले डेढ़ साल से व्हील चेयर पर बैठा था। चलने फिरने से लाचार था। व्हील चेयर ही उसे इधर-उधर ले जाने का एक मात्र सहारा थी। कारण यह था कि मरीज गठिया के कारण अपने दोनों कूल्हे खो बैठा था। इस मरीज को फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने दो चरणों के सफल ऑपरेशन के बाद एक सप्ताह में चलने-फिरने के काबिल बना दिया। आज वही मरीज अच्छे से सैर सपाटा करता है और स्वस्थ जीवन जी रहा है। 50 वर्षीय इस मरीज को नया जीवनदान देने के बाद डॉक्टरों ने करनाल में आज एक जागरूकता कार्यक्रम के तहत लोगों को कूल्हों से संबंधित बीमारियों के प्रति आगाह किया और साथ ही फिजिकल फिट रहने के टिप्स दिए। फोर्टिस अस्पताल मोहाली के वरिष्ठ कंसलटेंट (हड्डी रोग) डा. संदीप गुप्ता ने बताया कि 50 वर्षीय मरीज नेत्रम डाबला एसिटेबुलर गठिए से पीड़ित था। अस्पताल में आने के बाद उसकी हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी का दो चरणों में सफल ऑपरेशन किया गया। उन्होंने बताया कि नेत्रम डाबला नामक यह मरीज फोर्टिस अस्पताल में कूल्हे के दर्द की शिकायत लेकर आया था, जो कि तकलीफ के कारण चल फिर नहीं सकता था। उन्होंने बताया कि मरीज को गठिए की सोजिश के कारण चलने फिरने में मुश्किल पेश आ रही थी। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने उसके कूल्हे की हड्डी के दोनों तरफ के जोड़ तबदील करने में कामयाबी हासिल की है। डा. गुप्ता ने बताया कि फोर्टिस अस्पताल में हिप रिप्लेसमेंट के लिए विशेष यूनिट है, जहां नेत्रम का सफलता से ऑपरेशन किया गया। उन्होंने बताया कि कूल्हे के जोड़ (हिप ज्वाइंटस) रिप्लेसमेंट के लिए पहली सर्जरी 21 जुलाई 2020 को की गई थी। मरीज की हड्डी के विकार दूर के लिए ग्राफ्टिंग के लिए उसकी अपनी ही हड्डी का प्रयोग किया जाता है। मरीज नेत्रम डाबला ने बताया कि फोर्टिस अस्पताल जाने से पहले उसको बहुुत ज्यादा दर्द रहता था तथा वह अच्छी तरह चल-फिर नहीं सकता था। उन्होंने बताया कि उनका इलाज बहुत अच्छी तरह हुआ है तथा अब वह आसानी से चल-फिर सकते हैं तथा उसको कोई तकलीफ नहीं है।
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40 के बाद कराएं हड्डियों की जांच : फोर्टिस के वरिष्ठ कंसलटेंट डा. संदीप गुप्ता के मुताबिक पहले और आज की जीवन शैली में काफी बदलाव आ चुका है। पहले का खान-पान कुछ और था और आज खाने का तरीका ही नहीं बल्कि खाना भी बदल चुका है। दूध की जगह कोल्ड ड्रिंक ने ले ली है। रोटी की जगह पीजा
डेढ़ साल से व्हील चेयर पर बैठे मरीज को डॉक्टरों ने एक सप्ताह में पैरो पर किया खड़ा
फोर्टिस अस्पताल में हुआ कूल्हे का सफल ऑपरेशन, दो चरणों में की सर्जरी
करनाल, 21 सितम्बर: एक ऐसा मरीज जो पिछले डेढ़ साल से व्हील चेयर पर बैठा था। चलने फिरने से लाचार था। व्हील चेयर ही उसे इधर-उधर ले जाने का एक मात्र सहारा थी। कारण यह था कि मरीज गठिया के कारण अपने दोनों कूल्हे खो बैठा था। इस मरीज को फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने दो चरणों के सफल ऑपरेशन के बाद एक सप्ताह में चलने-फिरने के काबिल बना दिया। आज वही मरीज अच्छे से सैर सपाटा करता है और स्वस्थ जीवन जी रहा है। 50 वर्षीय इस मरीज को नया जीवनदान देने के बाद डॉक्टरों ने करनाल में आज एक जागरूकता कार्यक्रम के तहत लोगों को कूल्हों से संबंधित बीमारियों के प्रति आगाह किया और साथ ही फिजिकल फिट रहने के टिप्स दिए। फोर्टिस अस्पताल मोहाली के वरिष्ठ कंसलटेंट (हड्डी रोग) डा. संदीप गुप्ता ने बताया कि 50 वर्षीय मरीज नेत्रम डाबला एसिटेबुलर गठिए से पीड़ित था। अस्पताल में आने के बाद उसकी हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी का दो चरणों में सफल ऑपरेशन किया गया। उन्होंने बताया कि नेत्रम डाबला नामक यह मरीज फोर्टिस अस्पताल में कूल्हे के दर्द की शिकायत लेकर आया था, जो कि तकलीफ के कारण चल फिर नहीं सकता था। उन्होंने बताया कि मरीज को गठिए की सोजिश के कारण चलने फिरने में मुश्किल पेश आ रही थी। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने उसके कूल्हे की हड्डी के दोनों तरफ के जोड़ तबदील करने में कामयाबी हासिल की है। डा. गुप्ता ने बताया कि फोर्टिस अस्पताल में हिप रिप्लेसमेंट के लिए विशेष यूनिट है, जहां नेत्रम का सफलता से ऑपरेशन किया गया। उन्होंने बताया कि कूल्हे के जोड़ (हिप ज्वाइंटस) रिप्लेसमेंट के लिए पहली सर्जरी 21 जुलाई 2020 को की गई थी। मरीज की हड्डी के विकार दूर के लिए ग्राफ्टिंग के लिए उसकी अपनी ही हड्डी का प्रयोग किया जाता है। मरीज नेत्रम डाबला ने बताया कि फोर्टिस अस्पताल जाने से पहले उसको बहुुत ज्यादा दर्द रहता था तथा वह अच्छी तरह चल-फिर नहीं सकता था। उन्होंने बताया कि उनका इलाज बहुत अच्छी तरह हुआ है तथा अब वह आसानी से चल-फिर सकते हैं तथा उसको कोई तकलीफ नहीं है।
बॉक्स
40 के बाद कराएं हड्डियों की जांच : फोर्टिस के वरिष्ठ कंसलटेंट डा. संदीप गुप्ता के मुताबिक पहले और आज की जीवन शैली में काफी बदलाव आ चुका है। पहले का खान-पान कुछ और था और आज खाने का तरीका ही नहीं बल्कि खाना भी बदल चुका है। दूध की जगह कोल्ड ड्रिंक ने ले ली है। रोटी की जगह पिज़्ज़ा ने ली है और खेलकूद की बजाए अब मोबाइल पर ही काम चल जाता है, तो ऐसे में शारीरिक फिटनेस पर असर पड़ता है। यही कारण है कि आज हमारे बड़े बुजुर्ग हमसे ज्यादा तंदुरुस्त है। क्योंकि वह फिजिकल फिट रहते थे। लेकिन आज की युवा पीढ़ी फिजिकल फिट की जगह डिजिटल फिट रहती है। इसलिए हड्डियों को मिलने वाले जरूरी मिनरल्स, कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते। उन्होंने आगाह किया कि आज की जीवनशैली को देखते हुए 40 साल की उम्र में अपनी हड्डियों की जांच अवश्य करवाएं और यदि किसी चीज की कमी हैं तो डॉक्टर से सलाह लेकर उसे पूरा करें।
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जागरूकता कार्यक्रम के तहत लोगों को कूल्हों से संबंधित बीमारियों की जानकारी देते हुए चिकित्सक।