भाजपा सरकार पूंजीपतियों की गोद में खेलना बंद करे-सीटू
देश के असली निर्मार्ताओं किसान व मजदूर की रोजी रोटी पर हमले बंद करे
करनाल 9 अगस्त(पी एस सग्गू)
भाजपा सरकार पूंजीपतियों की गोद में खेलना बंद करे। देश के असली निर्मार्ताओं किसान व मजदूर की रोजी रोटी पर हमले बंद करे। सार्वजनिक क्षेत्र को तबाह न करे। उक्त बात सीटू के प्रदेश महासचिव जय भगवान, खेत मजदूर यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष जगमाल सिंह ने कही। वह भारत छोड़ो दिवस आंदोलन के ऐतिहासिक दिन पर किसान-मजदूरों के भारत बचाओ सभा व प्रदर्शन को सम्बोधित कर रहे थे। सभा की अध्यक्षता सतपाल सैनी, शीशपाल, रामस्वरूप, रणजीत सिंह ने की। अपने सम्बोधन में संगठन नेताओं ने कहा कि मौजूदा सरकार आज़ादी के बाद अब तक की सबसे खराब सरकार साबित हुई है। कोरोना की इस महामारी में भी देश और दुनिया के पूंजीपतियों के मुनाफो में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भाजपा के राज में इसी डेढ़ साल में भारत में 100 बड़े पूंजीपतियो ने 13 लाख करोड़ रूपए के मुनाफे कमाए है जबकि एक तिहाई लोगो ने अपने रोजगार खोए हैं, दिहाड़ी मजदूरी नहीं मिल रही है। बेरोजगारी अपने शीर्ष पर है। देश के सार्वजनिक व सरकारी उपक्रमों को कारपोरेट घरानों को नीलाम किया जा रहा है। देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने वाले किसानों को उजाडऩे के लिए तीन कृषि कानून लाए गए हैं। किसान 8 महीने से सडक़ों पर हैं लेकिन भाजपा सरकार अंबानी अडानी के मुनाफों के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही है। सरकार ने मजदूरों बारे चार लेबर कोड पारित कर मजदूरों को पूंजीपतियों और ठेकेदारों का गुलाम बनाने का ही काम किया है। उन्होंने कहा कि बिजली बिल 2021 को पारित करवाकर बिजली को निजी हाथो में देकर जनता पर बिलों के भारी बोझ लाद रही है। इसलिए देश के किसान व मजदूर भारत व देश बचाने के लिए सडक़ों पर उतरे हैं। सीटू जिला प्रधान सतपाल सैनी, सचिव जगपाल राणा, खेत मजदूर यूनियन के जिला प्रधान शिशपाल, किसान सभा के संयोजक कुलदीप एडवोकेट, आंगनवाड़ी यूनियन की नेता रूपा राणा, बिनजेश, आशा यूनियन नेता सुदेश, रोशनी, मिड डे मिल यूनियन नेता शिमला, संतोष, ग्रामीण चौकीदार सभा के कली राम, परवारा राम, ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के जोगेंद्र सिंह, जनवादी महिला समिति की जरासो देवी, सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान मलकीत सिंह, केंद्रीय कमेटी नेता कृष्ण शर्मा, ओ पी माटा आदि ने संबोधित थ्क्रूज्ञ7 संगठन नेताओं ने कहा कि न तो स्कीम वर्कर्स व कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जा रहा और न ही न्यूनतम वेतन 24000 किया जा रहा। सरकार व विभागों द्वारा स्वीकृत मांगो को ही लागू नही किया जा रहा। सरकार आम जनता की रोज़ी रोटी पर हमले कर रही है जबकि देश की धन संपदा को कोडिय़ो के भाव बेच रही है जिसे देश का किसान मजदूर स्वीकार नहीं करेगा। 10 सूत्रीय मांग पत्र को लेकर शहर में जुलूस निकाला गया और नायब तहसीलदार के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया। प्रदर्शनकारियों ने बिजली कर्मचारियों की 10 अगस्त को होने वाली हड़ताल के समर्थन में प्रस्ताव पारित करके इसमें शामिल होने का फैसला किया।
ये हैं प्रमुख मांगें
खेती विरोधी तीनों काले कृषि कानून वापस लो। फसल की सरकारी खरीद की कानूनी गारंटी हो। मजदूर विरोधी चारों लेबर कोड रद्द हों, न्यूनतम वेतन 24000 रूपये हो। वेतन कटौती व छंटनी बंद हो। बिजली बिल-2021 रद्द हो। सरकारी विभागों व सार्वजनिक क्षेत्र का नीजिकरण बंद हो। क्रूर आवश्यक प्रतिरक्षा सेवा कानून (ईडीएसए) को वापस लो। 600 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी के साथ न्यूनतम 200 दिन काम सुनिश्चित करने के लिए मनरेगा पर बजट बढ़ाया जाए। शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू हो। मनरेगा में काम एवं भूगतान के जाति आधारित भेदभावपूर्ण परामर्श प्रस्ताव को वापस लिया जाए। सभी को खाद्य सुरक्षा के दायरे में लाया जाए। महामारी की अवधि तक प्रतिव्यक्ति 10 किलो अनाज व अन्य खाद्य सामान फ्री मिले। 7500 रूपये महीना नगद दिया जाए। सभी निर्माण मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में रजिस्ट्रेशन हो, श्रमिकों को सभी लाभ व सुविधाएं दो। सरकारी स्वास्थ्य का ढ़ांचा मजबूत हो, इसके लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6 प्रतिशत स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटित करें। कोरोना बिमारी का सभी का टीकाकरण फ्री हो। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार कोविड से मृत्यु होने पर मुआवजा सुनिश्चित करें। सरकारी विभागो में स्थाई भर्ती हो। कच्चे, ठेका व आऊटसोर्स पर लगे कर्मचारी स्थाई हों। स्कीम वर्कर्स आंगनवाड़ी, आशा, मिड डे मील, क्रेच कर्मियों, वन मजदूरों, ग्रामीण सफाई कर्मचारियों, ग्रामीण चौकीदारों आदि को स्थाई किया जाए। आवश्यक वस्तुओं, पैट्रोल-डीजल व गैस की कीमतां की वृद्धि वापस लो।