सिख समाज अपने घर में बच्चों के साथ पंजाबी में बातचीत करें – जगजीत अरोड़ा
करनाल 13 जुलाई ( पी एस सग्गू)
आज सिख समाज की एक मीटिंग जगजीत सिंह अरोड़ा प्रधान सिख जागृति मंच के निजी कार्यालय में हुई जिसमें सिख समाज की कुछ बातों पर विचार विमर्श हुआ कि हमारे बच्चे पंजाबी भाषा को बिलकुल भूलते जा रहे हैं व घरों में भी अपनी मातृभाषा नहीं बोल रहे। जिस समाज की अपनी मातृभाषा नहीं होगी उस समाज का कभी भी उत्थान नहीं हो सकता। पंजाबी भाषा एक भाषा न होकर एक संस्कृति है, जिसे हमें बचाने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि विदेशी भाषाओं के चक्कर में अपनी मातृभाषा हम भूलते जा रहे हैं। जिसका हमें आने वाले समय में बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। मेरी सभी पंजाबी भाषा बोलने वालों से अपील है कि अपने घरों में अपने बच्चों के साथ, समाज में अपने लोगों के साथ पंजाबी भाषा में बात करें जिससे भाषा का अस्तित्व बचा रहे।
सिख समाज के लोगों का पहले धर्म बचाने में, देश को आजाद कराने में व उसके बाद भी चाहे 1965 की लड़ाई या 1971 की लड़ाई हो जिसमें सिख समाज का अग्रणीय योगदान रहा है। अब भी कोरोना काल में जितनी सेवा सिख समाज ने की है उतनी कोई कर नहीं सकता। कोरोना काल में देशों विदेशों में भी सिख समाज ने अपनी जान की परवाह न करते हुए बढ़ चढक़र लोगों की सेवा की है। 2014 में जब कांग्रेस की सरकार थी तब भी सिख समाज के साथ अनदेखी हो रही थी। सिख समाज बीजेपी के साथ जुड़ा जिससे बहुत बड़ा लाभ बीजेपी पार्टी को हुआ। सरकार बनने के बाद आज आठ वर्ष बीत चुके हैं लेकिन सरकार ने कोई सिख समाज का प्रतिनिधि नहीं बनाया जिससे सिख समाज के लोग अपने दुख सुख की बात किसी से सांझा कर सके। सिख समाज के लोगों में रोष की भावना है।
सिख जागृति मंच ने अपनी संस्था को आगे बढ़ाते हुए शमशेर सिंह चीमा को करनाल जिले का मुख्य सेवादार नियुक्त किया है और सिख जागृति मंच में करनाल से 10 हजार सदस्य जोडऩे का लक्ष्य रखा है व आने वाले समय में पूरे हरियाणा से 5 लाख सक्रिय सदस्य बनाए जाएंगे। बालीवुड फिल्मों में सिख का किरदार निभाते हुए जो फूहड़ता व मजाक का केंद्र बनाया जाता है उससे समाज में गलत असर पड़ता है क्योंकि सरदार का किरदार बहुत ऊंचा है। आने वाले समय में समाज के बुद्धिजीवी लोगों के साथ विचार-विमर्श कर जो भी सिख का किरदार निभाएंगा उसका पूरा कान्सेप्ट पहले देखा जाएगा उसके बाद ही उसकी मंजूरी दी जाएगी। इसके लिए एक 21 सदस्यीय कमेटी बनाने की आवश्यकता है जो इस तरह के कार्य को देखेगी। सिख समाज हरियाणा में बहुत जल्द ही सिख सम्मेलन करेगा।
इस मौके पर हरविन्द्र सिंह विकास कालोनी, इकबाल सिंह रामगढिय़ा, बलविन्द्र सिंह व कई गणमान्य व्यक्ति मीटिंग में मौजूद रहे।
सिख समाज के लोगों का पहले धर्म बचाने में, देश को आजाद कराने में व उसके बाद भी चाहे 1965 की लड़ाई या 1971 की लड़ाई हो जिसमें सिख समाज का अग्रणीय योगदान रहा है। अब भी कोरोना काल में जितनी सेवा सिख समाज ने की है उतनी कोई कर नहीं सकता। कोरोना काल में देशों विदेशों में भी सिख समाज ने अपनी जान की परवाह न करते हुए बढ़ चढक़र लोगों की सेवा की है। 2014 में जब कांग्रेस की सरकार थी तब भी सिख समाज के साथ अनदेखी हो रही थी। सिख समाज बीजेपी के साथ जुड़ा जिससे बहुत बड़ा लाभ बीजेपी पार्टी को हुआ। सरकार बनने के बाद आज आठ वर्ष बीत चुके हैं लेकिन सरकार ने कोई सिख समाज का प्रतिनिधि नहीं बनाया जिससे सिख समाज के लोग अपने दुख सुख की बात किसी से सांझा कर सके। सिख समाज के लोगों में रोष की भावना है।
सिख जागृति मंच ने अपनी संस्था को आगे बढ़ाते हुए शमशेर सिंह चीमा को करनाल जिले का मुख्य सेवादार नियुक्त किया है और सिख जागृति मंच में करनाल से 10 हजार सदस्य जोडऩे का लक्ष्य रखा है व आने वाले समय में पूरे हरियाणा से 5 लाख सक्रिय सदस्य बनाए जाएंगे। बालीवुड फिल्मों में सिख का किरदार निभाते हुए जो फूहड़ता व मजाक का केंद्र बनाया जाता है उससे समाज में गलत असर पड़ता है क्योंकि सरदार का किरदार बहुत ऊंचा है। आने वाले समय में समाज के बुद्धिजीवी लोगों के साथ विचार-विमर्श कर जो भी सिख का किरदार निभाएंगा उसका पूरा कान्सेप्ट पहले देखा जाएगा उसके बाद ही उसकी मंजूरी दी जाएगी। इसके लिए एक 21 सदस्यीय कमेटी बनाने की आवश्यकता है जो इस तरह के कार्य को देखेगी। सिख समाज हरियाणा में बहुत जल्द ही सिख सम्मेलन करेगा।
इस मौके पर हरविन्द्र सिंह विकास कालोनी, इकबाल सिंह रामगढिय़ा, बलविन्द्र सिंह व कई गणमान्य व्यक्ति मीटिंग में मौजूद रहे।