साले ने किडनी देकर पुलिसकर्मी को दिया जीवनदान
अलग ब्लड ग्रुप होने के बावजूद डॉक्टरों की टीम ने किया सफल ऑपरेशन
अलग ब्लड ग्रुप में एबीओ इनकम्पैटिबल किडनी ट्रांसप्लांट एक अच्छा और सफल विकल्प
करनाल 9 फरवरी ( पी एस सग्गू)
जब सभी ने साथ छोड़ दिया हाथ खड़े कर दिए तो एक बार लगा कि अब बचना मुश्किल है इस संकट की घड़ी में आखिरकार पत्नी का भाई आगे आया और उसने अपनी एक किडनी जीजा को दे दी उसका ब्लड ग्रुप भी जीजा से मेल नहीं खाता था बावजूद इसके आईवीवाई हॉस्पिटल मोहाली के डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट का सफल ऑपरेशन किया और मरीज को एकदम फिट कर दिया। यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि करनाल के एक पुलिसकर्मी की आप बीती है। 51 वर्षीय रमेश चंद हरियाणा पुलिस में एएसआई हैं। उन्हें किडनी की जेनेटिक बीमारी के कारण किडनी फेलियर की बीमारी थी। उन्हें सप्ताह में दो बार डायलिसिस शुरू किया गया था। उन्हें डायलिसिस पर कई समस्याओं का सामना करना पड़ा । उनका वजन कम हुआ और वह लगभग बिस्तर तक सीमित हो गए । जेनेटिक बीमारी के कारण परिवार व निकटतम रिश्तेदारी में कोई नहीं था जो किडनी दान कर सकता था ।
उनके साले ने किडनी डोनेट के लिए आगे आने का फैसला किया लेकिन उनका ब्लड ग्रुप अलग था । रोगी रमेश चंद ओ पॉजिटिव थे और उनका साला (डोनर) बी पॉजिटिव।
उन्होंने आईवी अस्पताल, मोहाली के रीनल साइंस डिपार्टमेंट में लाया गया जहां अविनाश श्रीवास्तव, डायरेक्टर यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी व डॉ राका कौशल, डायरेक्टर नेफ्रोलॉजी आइवीवाई अस्पताल मोहाली की टीम ने
किडनी ट्रांसप्लांट किया और अब वे पूरी तरह से स्वस्थ व ठीक हैं।
बॉक्स। जागरूक रहें और जागरूक रखें
करनाल में एक जागरूकता कार्यक्रम के तहत अविनाश श्रीवास्तव, डायरेक्टर यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी व डॉ राका कौशल, डायरेक्टर नेफ्रोलॉजी आइवीवाई अस्पताल मोहाली ने कहा शुरुआत में लोग एबीओ इनकम्पैटिबल किडनी ट्रांसप्लांट से परहेज करते थे, लेकिन अब 100 से अधिक एबीओ बेमेल प्रत्यारोपण करने के बाद हमने देखा है कि एबीओ इनकम्पैटिबल के परिणाम समान ब्लड ग्रुप ट्रांसप्लांट के जैसे अच्छे हैं। यह किडनी फेलियर के रोगियों के लिए एक मजबूत संदेश है जिनके परिवार में मेल खाते ब्लड ग्रुप डोनर नहीं हैं उनके लिए एबीओ इनकम्पैटिबल किडनी ट्रांसप्लांट एक अच्छा और सफल विकल्प है। इसलिए खुद भी जागरूक रहें और दूसरों को भी जागरूक रखें।