मेला राम स्कूल की जायदाद को धोखाधड़ी व गैरकानूनी ढंग से हड़पने का आरोप लगे
करनाल 2 फरवरी ( पी एस सग्गू)
करनाल में जनता के दान से बनी व आर्य समाज को समर्पित 200 करोड़ की मेला राम स्कूल की जायदाद को धोखाधड़ी व गैरकानूनी ढंग से हड़पने व मात्र 2 करोड़ 40 लाख रूपये में अपने ही आदमियों को बेच कर सरकार को भी चूना लगाने के महाघोटाले में मुकद्दमा दर्ज करवाकर कारवाई करवाने के लिए अब करनाल के आर्य समाज ने कमर कस ली है। आज सेक्टर 13 स्थित आर्य समाज मंदिर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में आर्य केंद्रीय सभा के संरक्षक डॉ लाजपत राय चौधरी प्रितपाल सिंह पन्नू , प्रधान आनन्द सिंह आर्य, संरक्षक शांति प्रकाश आर्य, लीगल एडवाइज़र एडवोकेट प्रीतपाल सिंह पन्नु, महामंत्री स्वतन्त्र कुकरेजा, महामंत्री वेद मित्र आर्य, पंडित शिवप्रसाद, पंडित राजीव आर्य, राजीव बंसल,एडवोकेट हरीश आर्य लीगल एडवाइजर,देशपाल ठाकुर, हंसराज कुमार, सुभाष विज, सतप्रिय नरवाल, नवीन बिदानी,विजय आर्य आदि ने उपस्थित रहकर गंभीर आरोप लगाते हुए इस मामले में मुक़द्दमा दर्ज कर जाँच करने की माँग की। आर्य समाज की ओर से इस मामले को उठाते हुए एडवोकेट प्रीतपाल सिंह पन्नु ने बताया कि करनाल के बीचों बीच स्थित लगभग 200 करोड़ की मेला राम स्कूल की जायदाद को फर्जी तरीके से सोसायटी बनाकर उसमें पारिवारिक सदस्यों को शामिल कर व मनमर्जी के रैजुलेशन डालकर हड़पने की साजिश रची गई है ओर इस साजिश को अमली जामा पहनाते हुए अब अपने ही लोगों को मात्र 2.40 करोड़ रूपये में बेच कर जहां आर्य समाज को समर्पित इस संस्थान को खुर्द बुर्द करने के प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं इस संस्थान की जमीन को मनमाने ढंग से व्यवसायिक गतिविधियों व निजी लाभ के लिए इस्तेमाल करने की साजिश रची जा रही है जिसकी उच्च स्तरीय जांच बेहद आवश्यक है । इस पूरे घोटाले से न केवल आर्य समाज के लिए समर्पित की गई एक सम्पति पर नाजायज कब्जे की कोशिश की जा रही है वहीं बहुत से दुकानदारों की रोजी रोटी छीन कर उनसे जुड़े सैंकड़ों लोगों को सड़क पर लाने के कुटिल इरादे स्पष्ट नजर आ रहे हैं ।
हरियाणा के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री व पुलिस महानिदेशक को एक शिकायत भेज कर आर्य संस्थाओं ने आरोप लगाया कि दयानंद मॉडल विद्यालय (मेला राम स्कूल) को चलाने के लिए संस्था की स्थापना स्वर्गीय श्री मेला राम ने वेद व गीता आधारित आर्य समाज के महान सिद्धान्तों के प्रचार व प्रसार हेतु की थी ओर उनके द्वारा खरीदी गई जमीन पर आर्य समाज के सदस्यों व जनता से दान राशि एकत्रित कर ईमारत खड़ी की गई थी, जिसमें जहां आर्य समाज के सिद्धान्तों के अनुसार शिक्षा देने के लिए दयानंद माॅडल हाई स्कूल नाम से स्कूल शुरू किया गया था । इस ईमारत में राय साहिब प्रताप सिंह व रैड क्रास करनाल द्वारा बनाए गऐ दो कमरे भी मौजूद हैं, जिनके पत्थर अभी भी मौजूद हैं । इस स्कूल के संचालन के लिए शुरू में 15 सदस्यीय कार्यकारिणी पर आधारित दयानंद माडल एजुकेशनल सोसायटी 19 जून 1958 को सोसायटी एक्ट में बाकायदा रजिस्टर करवाई गई थी ओर संस्था के संविधान के अनुसार सभी सदस्या आर्य समाजी थे व संस्था में 12 से 17 सदस्यों का होना आवश्यक था। संविधान के अनुसार डी0ए0वी0 काॅलेज मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन स्थाई एक्स ओफिशियो सदस्य बनाए गए थे । सोसायटी में सभी सदस्य उच्च शिक्षा प्राप्त व समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे व स्वर्गीय मेला राम जी के परिवार से केवल कुमारी शारदा इसकी सदस्य थी । बाद में सोसायटी के 13 सदस्यों के दिवंगत होने के बाद सोसायटी का काम काज रविन्द्र नाथ सहगल ने संभाल लिया जो श्री मेला राम के पुत्र थे । रविन्द्र नाथ सहगल ने नियमों व सोसायटी के संविधान के विरूद्ध जाकर अपने परिवार के 5 सदस्य इसमें और जोड़ दिये व तीन अन्य व्यक्तियों को भी सोसायटी का सदस्य बना लिया । हैरानी की बात है कि सोसायटी के संविधान में वर्णित डी0ए0वी0 काॅलेज मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन जो एक्स ओफिशियो सदस्य थे को बैठक की सूचना तक नहीं दी गई, ओर सोसायटी एक्ट की उल्ंघना कर अपनी मर्जी से नयी कार्यकारिणी का गठन कर दिया जिसमें एक ही परिवार के सदस्यों को शामिल कर दिया । बाद में इन सभी सदस्यों ने आपसी मिलीभुक्त, जालसाजी व हममश्वरा होकर करोड़ों की जायदाद को हड़पने की नियत से एक रैजुलेशन पास कर शिक्षा विभाग से एक अच्छे भले चल रहे स्कूल को बंद करने के लिए इसकी मान्यता समाप्त करने के लिए लिखा व स्कूल के सैंकड़ों कर्मचारियों व विद्यार्थियों के भविष्य की चिंता किए बिना साजिश रचकर स्कूल की मान्यता को रद्द करवा लिया । इसी का सहारा लेकर इन्होने 200 करोड़ की मार्किट वैल्यु की इस जायदाद को कौड़ियों के भाव बेचते हुए मात्र 2:40 करोड़ में इसे अपने ही तीन साथियों को बेच दिया ओर अब इस बिल्डिंग में वर्षो स्कुल की सोसायटी को किराया देकर रह रहे दुकानदारों से जबरदस्ती दुकानें खाली करवा कर व इस जायदाद पर धोखाधड़ी से व गुंडागर्दी से कब्जा करना चाहते हैं ।
रविंद्र नाथ ने स्वयं 16.09.2010 को रजिस्ट्रार को शपथ पत्र दिया है कि सोसायटी जायदाद को न तो बेच सकती है ओर न ही डिस्पोज कर सकती है ओर न ही कोई सदस्य सोसायटी से वितिय लाभ नहीं ले सकता जबकि एफिडेविट की शर्तो का उल्लंघन कर इस जायदाद को गैरकानूनी ढंग से सोसायटी के सदस्यों को ही न केवल बेचा गया है बल्कि निजी लाभ के लिए जायदाद बेचने से प्राप्त धन का इस्तेमाल किया जा रहा है ।
जिस बैठक में रविंद्र नाथ ने नऐ सदस्य सोसायटी में शामिल कर उसका पुर्नगठन किया उसमें डी0ए0वी0 काॅलेज मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन जो कि एक्स ओफिशियो सदस्य बनाए गए थे को आमन्त्रित नहीं किया जो कि सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के नियमों के विरूद्ध है । केवल इसी एक आधार पर वह बैठक जिसमें नए सदस्य शामिल किए गए, स्वतः गैरकानूनी हो जाती है व गैरकानूनी ढंग से बनी कार्यकारिणी के सभी निर्णय जिसमें स्कूल को बन्द करना व जायदाद को बेचना भी स्वतः ही गैरकानूनी हो जाते हैं ।
आर्य केंद्रीय सभा के प्रधान आनंद सिंह ने बताया कि स्वर्गीय मेला राम बर्क की अन्तिम विल जो उनके परिवार द्वार पेशी की गई है कि सत्यता की जांच होना अभी बाकी है, लेकिन अगर इस को सही भी मान लिया जाए तो इसमें यह स्पष्ट लिखा है कि उनकी मृत्यु के बाद उनके बच्चे इस सम्पति का इस्तेमाल केवल आर्य समाज के हित में करेंगे जो उन्हे बेहद प्रिय है जबकि उसके पारिवारिक सदस्य ने बदनियती से इस जमीन को बेचकर सारा धन हड़प लिया है व उसे निजी लाभ के लिए खर्च कर रहे हैं।
इस स्कूल की सेल को रोकने के लिए सभी अध्यापको व अन्य स्टाफ की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने भी एक पत्र तत्कालीन उपायुक्त व शिक्षा विभाग को लिखा था लेकिन न मालूम कारणो से उस पत्र पर कोई कारवाई नहीं की गई ।
लगभग 200 करोड़ की इस जमीन जायदाद जिस पर लगभग 60 दुकाने जो कमर्शियल प्रापर्टी के अंर्तगत आती हैं व स्कुल आदि को रैजिडेंशियल दिखाकर मात्र 2:40 करोड़ में रजिस्टरी करवाई गई व इसमें भी धोखाधड़ी करते हुए सरकार को स्टेंप डयूटी पर मोटा चूना लगाया गया । इस सम्बंध में आयुक्त करनाल डिविजन की रिपोर्ट से भी यह तथ्य ओर स्पष्ट हो जाते हैं लेकिन न मालूम कारणो से आयुक्त के निर्देशों के बावजूद डीआरओ करनाल ने सरकारी के साथ हुई इस धोखाधड़ी की न तो जांच की व न ही आगे कोई कारवाई की । उपयुक्त करनाल के आदेश पर इस पूरे मामले की जांच करनाल के अतिरिक्त उपायुक्त योगेश कुमार द्वारा की गई ओर अपनी जांच रिपोर्ट में उन्होने स्पष्ट कर दिया कि सोसायटी के संचालन व इस जमीन की सेल में अनियमितताएं हुई हैं । जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि इस स्कूल को मैनेजमैंट द्वारा एक सोची समझी योजना के तहत बंद किया गया ताकि इसे बेचा जा सके ।
प्रेस वार्ता में मौजूद स्वतंत्र कुकरेजा व एडवोकेट हरीश आर्य ने कहा कि अगर अतिरिक्त उपायुक्त की रिपोर्ट, आयुक्त करनाल के निर्देश व जिला शिक्षा अधिकारी के पत्र का विश्लेषण किया जाए ओर रविंद्र नाथ सहगल द्वारा सोसायटी के स्थाई सदस्य के रूप में शामिल डी0ए0वी0 काॅलेज प्रबंधन कमेटी के प्रधान को मीटिंग में बुलाए बिना मनमर्जी से एक ही परिवार के लोगों को सोसायटी का सदस्य बनाने ओर फिर स्कूल को एक योजना के तहत बंद कर बेचने ओर सेल वैल्यु को वास्तिविक मुल्य से कहीं कम दिखाकर स्टाम्प डयूटी चोरी करने के इस पूरी घटनाक्रम का संज्ञान लिया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि गैरकाननी तरीके से बनी नई कार्यकारिणी जिसमें रविंद्र नाथ सहगल, ब्रहम दत सहगल, ललित सहगल, डा0 विजय मलहोत्रा व शारदा मीरा शामिल हैं ने हम मश्वरा होकर, आपराधिक षडयंत्र रचकर, बदनियती से इस करोड़ों की जायदाद को खुर्द बुर्द कर सारे धन को हड़पने की नियत से अपने ही संस्था के सदस्यों सुशील जैन, विनय गोयल व राजेश सेठी को यह सम्पति बेच दी जबकि स्वर्गीय श्री मेला राम की उनके परिवार द्वारा पेश की गई वसीयत के अनुसार भी वे इस सम्पति का इस्तेमाल केवल आर्य समाज की भलाई के कार्यो के लिए ही कर सकते थे ।
आर्य समाज के प्रतिनिधियों ने सरकार व पुलिस प्रशासन से माँग की है कि इस मामले में आपराधिक मुक़द्दमा दर्ज कर इसकी उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए जांएं ओर दोषियों को गिरफतार किया जाए, गैरकानूनी ढंग से व नियमों को ताक पर रखकर बनाई गई सोसायटी व इसके द्वारा लिए गए सभी निर्णयों को निरस्त किया जाए व स्वर्गीय मेला राम की वसीयत के अनुसार इस संस्थान को आर्य समाज की भलाई के कार्यो के लिए आगें बढ़ाने के लिए करनाल के आर्य समाजों से सदस्य लेकर सोसायटी का पुर्नगठन किया जाए