पराली को खाद में बदल देगा पूसा छिड़काव किसानों को होगा फायदा
करनाल 1 सितम्बर (पी एस सग्गू)
फसल कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेषों को अब जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) बायोएंजाइम पूसा डीकंपोजर सप्रे विकसित किया है। यह बायोएंजाइम छिड़काव के बाद 20-25 दिनों के भीतर ठूंठ को डीकंपोज कर देता है और इसे खाद में बदल देता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में और सुधार होता है। इसके तहत प्रदेश के किसानों को छिड़काव के बारे जानकारी दी जाएगी और इसके क्या फायदे हैं इसके प्रति जागरूक भी किया जाएगा। बता दे कि हर साल, 57 लाख एकड़ में धान की पराली को जलाने से हवा प्रदूषित होती है, जिससे आसपास के शहरों में लोगों के लिए सांस लेना भी दूभर हो जाता है। टिकाऊ कृषि के लिए एक इंटीग्रेटेड टैक्नोलॉजी आधारित समाधान प्रदाता और यूपीएल के ओपनएजी नेटवर्क के नर्चर फार्म ने पराली जलाने की परंपरा को समाप्त करने के लिए अभियान छेड़ा है। जो किसानों को इसके प्रति जागरूक करेगा इसमें प्रदेश भर के किसानों को शामिल किया जाएग। इस बारे में ग्लोबल सीईओ जय श्रॉफ ने कहा इससे किसानों और समाज दोनों को लाभ होगा।नर्चर.फार्म के सीओओ ध्रुव साहनी ने कहा कि किसान नवीनतम तकनीक और कृषि मशीनीकरण तक पहुंच की कमी के कारण फसल को जलाने के लिए मजबूर हैं। बची हुए पराली को संभालने में किसी भी तरह की देरी सीधे उनके अगले फसल चक्र को प्रभावित करती है, जिसका उनकी उपज और अंततः उनकी आय पर बुरा असर पड़ता है।