दरिया बुर्द शामलात के मुद्दे पर चंडीगढ़ में हुई बैठक, किसानों की दिक्कतों के समाधान का हुआ प्रयास हरविंद्र कल्याण
करनाल 8 अगस्त ( पी एस सग्गू)
यमुना क्षेत्र में दरिया बुर्दगी के कारण शामलात में दर्ज हुई किसानों की भूमि के विषय पर मंगलवार को चंडीगढ़ में राजस्व विभाग के अधिकारियों की बैठक सेक्टर 17 स्थित सचिवालय में सम्पन्न हुई जिसमें घरौंडा के विधायक हरविंदर कल्याण ने करनाल ज़िले के यमुना क्षेत्र के किसानों के साथ हिस्सा लिया। ग़ौरतलब है कि इस विषय को लेकर अभी तक कई बैठकें हो चुकी हैं और यमुना नदी के आसपास के हज़ारों किसानों की इस समस्या को विधायक कल्याण विधानसभा में भी उठा चुके हैं। मंगलवार को चंडीगढ़ में इस विषय पर हुई बैठक में मुख्य रूप से हरियाणा सरकार के राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश खुल्लर ने अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की।
बैठक के दौरान ख़ासतौर पर उन किसानों की पुश्तैनी ज़मीनों से जुड़ी समस्या पर विस्तार से चर्चा हुई जिसके चलते किसान अपनी पुश्तैनी ज़मीनों पर पीढ़ियों से खेती तो कर रहा है परन्तु उनके पास अपनी उन पुश्तैनी ज़मीनों का मालिकाना हक़ नहीं है जिसके कारण ना तो वो किसान अपनी ज़मीन की रजिस्ट्री करवा सकते है और ना ही उन ज़मीनों पर ऋण ले पाते हैं। इन किसानों को जहां अपनी ज़मीनों का मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल आदि पर पंजीकरण करवाने के लिए धक्के खाने पड़ते हैं वहीं उनके लिए किसी भी प्रकार का मुआवज़ा लेना काफ़ी मुश्किल है। किसान कुलदीप ढाकवाला, ओमपाल, गोपाल, सुलेमान, गुलाब कश्यप, आदि ने ज़मीनों के दस्तावेज दिखाने के साथ साथ किसानों को आ रही दिक़्क़तों का भी ज़िक्र किया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश खुल्लर ने बैठक में उपस्थित विधायक हरविंदर कल्याण, राजस्व विभाग की निदेशक आमना तसनीम, करनाल के डीसी अनीश यादव, राजस्व विभाग के अन्य उपस्थित अधिकारियों व किसानों के साथ इस समस्या का हल निकालने को लेकर बहुत विस्तार से चर्चा की और अधिकारियों को दिशानिर्देश जारी किए। विधायक हरविंदर कल्याण ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल लगातार लोगों की हर प्रकार की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में यमुना क्षेत्र के ऐसे किसानों के लिए बहुत बड़ी कठिनाई है जिनकी पुश्तैनी ज़मीनें दरिया बुर्द होने के बाद बरामद तो हो गईं परन्तु वो ज़मीनें शामलात देह में दर्ज होने के कारण उनको अपनी ज़मीनों का दोबारा मालिकाना हक़ नहीं मिला तथा वो अपनी ज़मीनों पर काश्तकार के तौर पर खेती करने के अलावा अपनी ज़मीनों को किसी भी और तरीक़े से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। उन्होंने बताया कि आज की बैठक में इस समस्या के हल को लेकर बहुत सार्थक चर्चा हुई है तथा विभाग व सरकार के प्रयासों से भविष्य में इस समस्या का हल निकलने की पूरी उम्मीद है।