उपभोक्ताओं की सेहत की सुरक्षा के लिए खाद्य कारोवारियों को प्रशक्षित होना जरूरी: सुभाष चंद्रा

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उपभोक्ताओं की सेहत की सुरक्षा के लिए खाद्य कारोवारियों को प्रशक्षित होना जरूरी: सुभाष चंद्रा
करनाल में  जागरूकता कार्यशाला में दी ए.क्यू.एम. सी. एस विशेषज्ञों ने जानकारी
करनाल 30 मार्च ( पी एस सग्गू)

 प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत फूड एंड सेफ्टी विभाग के डीओ सुभाष चंद्रा ने कहा है कि उपभोक्ताओं की सेहत को प्रदूषित खाद्य पदार्थों के सेवन से होने वाले नुक्सान से बचाने के लिए खद्य पदार्थ बेचने वाले तथा बनाने वाले कारोवारियों को तकनीकी रुप से प्रशिक्षित होना चाहिए। फूड एंड सेफ्टी विभाग इस दिशा में काम कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं की सेहत को  नुक्सान करने वाले प्रदूषित पदार्थों से बचाने के लिए विभाग के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम चलते रहते हैं। कारोवारियों को भी लाइसैंस के साथ प्रशिक्षण भी लेना जरूरी हैं। सभी को अपना लाइसैंस समय पर नवीनीकरण करवाना चाहिए। वह करनाल के बस स्टैंड के सामने एक होटल पर आयोजित जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में फूड फार फोर्टीफिकेशन, हाइजिन रैंकिग, फास्ट्रेक प्रशिक्षण,सहित तमाम विषयों पर प्रशिक्षण दिया गया। एफ.एस.एस.आईके ट्रैनिंग पार्टनर ए.क्यू.एम. सी. एस द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में बोलते हुए एफ.एस.एस.आईके ट्रैनिंग पार्टनर ए.क्यू.एम. सी. एस के डयरेक्टर जोगिंदर चहल ने बताया कि खाद्य कारोवािरयों को फोस्ट ट्रैक टैनिंग अवश्य लेना चाहिए। इसमें हाइजैनिक प्रशिक्षण के साथ एफएसएसआई के तहत लाइसैंस लेने के तरीके और रजिस्ट्रेशन की विस्तृत जानकारी दी जाती हैं। उन्होंने पोषक पदार्थों को फोर्टीफाइड के बारे में जानकारी दी। कारोवारियों को वर्कशाप में खाना बनाते समय उसको जीवाणु और धूल से बचाने के तरीके उपयोग में आने वाले तेल के अवशिष्ट के प्रेयोग के बारे मेें जानकारी दी। इस अवसर पर फोर्टीफिेकेशन के बारे में रूचि सरीन ने जानकारी दी। खाद्या पदार्थ को बनाने के लिए उपयोग में आने वाले तेल के अवशिष्ट  के प्रयोग को लेकर गौतम शर्मा ने जानकारी दी। इस अवसर पर हाइजेनिक रैंकंग के बारे में ेजानकारी जोगिंदर चहल ने दी। इस कार्यक्रम में 200 से अधिक व्यवसासइयों ने जानकारी दी। यह कार्यक्रम अपनी तरह का पहला कार्यक्रम था। इससे पहले करनाल और आसपास के शहरोंं में 100 से अधिक प्रशिक्षण शिविर लगाए जा चुके हैं।

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