पार्षद की मौत के लिए सीएम की करनाल के प्रति संवेदनहीनता दोषी: त्रिलोचन

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पार्षद की मौत के लिए सीएम की करनाल के प्रति संवेदनहीनता दोषी: त्रिलोचन
पीजीआई और मुख्यमंत्री के आवास पर तैनात अफसरों की जिम्मेदारी तय हो
करनाल, 18 मई ( पी एस सग्गू)
करनाल कांग्रेस के जिला संयोजक त्रिलोचन सिंह ने करनाल में बार नगर निगम के पार्षद रह चुके तथा मौजूदा पार्षद सुदर्शन कालड़ा की मौत की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की ळैं। उन्होंने कहा कि जब देश और प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे है। तो फिर प्राथमिक लक्षण होने के बाद उन्हें करनाल में ही क्यों नहीं प्राइमरी उपचार दिया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की सिफारिश के बाद भी दो दिन तक उन्का उपचार पीजीआई में क्यों नहीं किया गया। मुख्यमंत्री को इस मामले मे नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच के आदेश देने चाहिए। उन्होंने बताया कि जब प्रदेश और देश में इस बीमारी के मरीज आ रहे थे तो फिर करनाल केमैडीकल कालेज में क्यों नहीं उपचार की व्यवसथा की गई। मुख्यमंत्री करनाल से विधायक ळैं उसके बाद भी मैडीकल कालेज महज रैफर सेंटर बन कर रह गया हैं। उन्होंने नगर पार्षद श्री सुदर्शन कालड़ा की दु:खद स्थितियों में हुई मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया है । उन्होंने कहा कि श्री कालड़ा एक संवेदनशील जन सेवक थे । उनका असमय निधन सिमाज की बड़ी भरी क्षति है । उन्होंने कहा कि वह इस बात से भी दुखी हैं कि करनाल से चंडीगढ़ रेफर होने के बावजूद भी श्री कालड़ा को पीजीआई में न तो कोई बेड मिला और न ही इलाज । उन्हे अटेंड तक नहीं किया गया,वह स्ट्रेचर पर ही पडे रहे उन्होंने बताया कि कालड़ा को उचित उपचार के लिए उनके परिजन मुख्यमंत्री आवास के चक्कर लगाते रहे लेकिन मुख्यमंत्री आवास ने कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंनें कहा कि मुख्यमंत्री पर करनाल के विधायक होने के कारण करनाल के लोगों का पहला अधिकार हैं7 लेकिन करनाल के लोगों के लिए ही मुख्यमंत्री के द्वार बंद होना शर्मनाक हैं। मुख्यमंत्री को विधायक बनाने में करनाल की जनता के अलावा प्रदेश के किसी भी जिले का योगदान नहीं हैं। फिर जनप्रतिनिध होने के कारण मुख्यमंत्री को करनाल के पारूर्षछ के उपचार में व्यक्तिगत रुचि लेना चाहिए थी। लेकिन मुयमंत्री को करनाल से कोई लेना देना नहीं हैं। यह इस बात से साफ होती हैं। कालड़ा की मौत के लिए पीजीआई की लचर व्यवसथा के साथ मुख्यमंत्री के आवास पर तैनात अफसर और उनके ओएसडी भी जिम्मेदार हैं।

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